मेरी माँ को पतंजलि कंपनी का च्यवनप्राश पसंद है, लेकिन इस बार हमने डाबर का च्यवनप्राश लिया. कारण: पतंजलि उत्पादों की गुणवत्ता में लगातार गिरावट. ऐसे ही, पिछले दिनों हमने पतंजलि का एक शैंपू लिया. यह शैंपू आज से 4 साल पहले बहुत गाढ़ा होता था, पानी मिलाकर डेढ़ गुना हो जाता था. लेकिन इस बार बड़ा पतला था. इसकी तुलना में क्लीनिक प्लस बेहतर है.
रामदेव ने सस्ता और शुद्ध का दावा करके अपने लिए ग्राहकों का एक बड़ा वर्ग तैयार किया. लेकिन अब उन्हीं ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी हो रही है. उत्पादों के मूल्य तो अभी भी कम हैं, लेकिन गुणवत्ता बहुत घट गई है. साथ ही, मिलावट से भी अब बाबाजी को कोई परहेज़ नहीं है. पिछले दिनों पतंजलि शुद्ध घी की जाँच में हानिकारक रसायन पाए गए. और तो और, कोरोनिल, जो कि एक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा थी, उसे कोविड की दवा के रूप में बेचा गया. बस नाम बनाए रखने के लिए कुछ उत्पाद जैसे दंतकांति, दृष्टि ड्रॉप, आदि की गुणवत्ता बनाई हुई है.
रामदेव ने यह धोखा क्यों किया? वास्तव में, इस देश की समस्या यही है कि हम जिन लोगों को भी अपना आदर्श बना लेते हैं वे ही हमें ठगना शुरू कर देते हैं. बाबे झूठी आध्यात्मिकता बेचते हैं. अभिनेता और क्रिकेटर तंबाखू, शराब, कोल्ड ड्रिंक्स, जुए और सट्टे के apps बेचते हैं. और नेता घृणा और अज्ञान बेचते हैं. जिसके पास भी अनुयायियों की भीड़ हो वही शोषक बन जाता है.
इसीलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि सचेत रहो, पढ़ो- लिखो, अध्ययन करो, जाँच-पड़ताल करो. जो भी कहा जाए, एकदम से सच न मान लो. चारों ओर लुटेरे हैं, सावधान रहो.